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माँ अपर्णा शक्तिपीठ: भवानिपुर – बांग्लादेश

Bhabanipur Village, Bhabanipur Union, Sherpur Upazila, Bogra District,
Bogra, Rajshahi District, Bangladesh

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🌺 माँ अपर्णा शक्तिपीठ, भवानिपुर – बांग्लादेश

जहाँ सती माँ की बाईं पायल गिरी थी

माँ अपर्णा शक्तिपीठ बांग्लादेश के भवानिपुर क्षेत्र में स्थित एक अत्यंत पवित्र तीर्थस्थल है। यह वही स्थान है जहाँ माँ सती के बाएँ पैर की पायल (नूपुर) गिरी थी। इस घटना के कारण यह स्थल 51 शक्तिपीठों में एक महत्वपूर्ण और दिव्य केंद्र के रूप में विख्यात है। यहाँ की शांति, भक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा हर भक्त को माँ की ममता का अद्भुत अनुभव कराती है।


माँ अपर्णा का यह पावन धाम कहाँ स्थित है?

मंदिर बांग्लादेश के राजशाही डिवीजन में, बोगरा जिले के शेरपुर उपजिला में स्थित है। यह करतया नदी के पवित्र किनारे पर बसा हुआ है। ढाका से सड़क मार्ग के माध्यम से बोगरा पहुँचकर और फिर शेरपुर से भक्त माँ के दर्शन के लिए यहाँ पहुँचते हैं। भारतीय भक्तों के लिए पासपोर्ट और वीज़ा आवश्यक होते हैं क्योंकि यह स्थान अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार आता है। विदेशी भूमि पर स्थित होने के बावजूद यहाँ भारतीय सनातनी संस्कृति और श्रृद्धा का गहरा प्रभाव देखने को मिलता है।


पौराणिक कथा – माँ सती से होकर माँ अपर्णा तक

दक्ष प्रजापति के यज्ञ में सती को अपमानित किया गया। अपमान सहन न कर पाने पर उन्होंने यज्ञ-अग्नि में देह त्याग दी। यह देखकर भगवान शिव शोक और क्रोध से व्याकुल होकर जगत में तांडव करने लगे। स्थिति भयानक हो गई और दुनिया विनाश की कगार पर पहुँच गई। तब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को खंडित कर ब्रह्मांड के विभिन्न हिस्सों में स्थापित किया। जहाँ-जहाँ उनके अंग और आभूषण गिरे, वहाँ-वहाँ शक्तिपीठों की स्थापना हुई।

भवानिपुर वही पावन भूमि है जहाँ माँ सती की बाईं पायल गिरी थी। इस कारण यहाँ देवी को “अपर्णा” रूप में पूजा जाता है। भैरव शिव भी यहाँ “वामेश” या “वामन भैरव” के स्वरूप में विराजमान हैं। माता अपर्णा वह स्वरूप हैं जिन्होंने शिव की प्राप्ति हेतु चरम तपस्या की थी और जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने पत्तों तक का सेवन त्याग दिया था — इसी कारण उनका नाम पड़ा “अपर्णा”।


मंदिर की पवित्रता और विशेषताएँ

माँ अपर्णा का यह शक्तिपीठ लगभग चार एकड़ में विस्तृत है। मंदिर परिसर में मुख्य गर्भगृह के साथ शिव मंदिर, पाताल भैरव मंदिर, वासुदेव एवं गोपाल मंदिर भी स्थित हैं। परिसर में बना “शंख पोखर” नामक पवित्र सरोवर भक्तों के लिए महत्त्वपूर्ण है। श्रद्धालु यहाँ स्नान करके माँ अपर्णा के चरणों में नतमस्तक होते हैं।
मंदिर के वातावरण में एक अलग ही ऊर्जा बहती है, जो भक्तों को अपने भीतर की नकारात्मकता से दूर और आध्यात्मिकता की ओर प्रेरित करती है।


पूजा, उत्सव और दिव्यता

माँ अपर्णा के इस शक्तिपीठ में प्रतिदिन आरती, भोग और स्तुति के विशेष अनुष्ठान होते हैं। शारदीय नवरात्रि में यहाँ अत्यधिक रौनक देखने को मिलती है। दुर्गा पूजा माता की महाशक्ति का उत्सव है, जिसमें देश-विदेश से भक्त शामिल होते हैं। माघी पूर्णिमा और श्यामा पूजा के दौरान भी यहाँ विशाल भक्त-समूह उपस्थित रहता है।
यहाँ की भक्ति और श्रद्धा की भावना हर आयु के भक्त के मन को स्पर्श करती है।


आस्था और चमत्कार

माँ अपर्णा पर श्रृद्धा रखने वाले भक्त मानते हैं कि सच्चे मन से प्रार्थना करने पर उनकी सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। माना जाता है कि यहाँ त्वचा सम्बंधित रोगों में लाभ प्राप्त होता है और संतान की इच्छा रखने वाले दंपति यहाँ आकर सौभाग्य प्राप्त करते हैं। जीवन में शांति, प्रेम और समृद्धि की प्राप्ति माँ अपर्णा की विशेष कृपा से संभव होती है।

भक्तों की जुबान पर हमेशा यही रहता है —
“माँ अपर्णा की कृपा से हर कष्ट दूर हो जाता है।”


यात्रियों के लिए आवश्यक जानकारी

इस शक्तिपीठ की यात्रा का सर्वोत्तम समय अक्टूबर से फरवरी माना जाता है। मंदिर में प्रवेश करते समय शालीन और स्वच्छ वस्त्र धारण करना आवश्यक है। परिसर में शराब, मांस और तंबाकू जैसी चीज़ों का पूर्ण निषेध है। यहाँ भक्तों के व्यवहार में शांति और मर्यादा की अपेक्षा की जाती है।

भले ही यह भारत की सीमा के बाहर हो, लेकिन यहाँ हर कदम पर सनातन संस्कृति की सुगंध महसूस होती है।


🧭 यात्रा सुझाव

यात्रा बिंदुजानकारी
सर्वोत्तम समयअक्टूबर–फरवरी
निकटतम नगरबोगरा
भाषाबंगाली / हिन्दी / अंग्रेज़ी
समयसुबह दर्शन व शाम की आरती अत्यंत विशेष

⚠️ भारतीय यात्रियों को पासपोर्ट-वीज़ा की आवश्यकता होती है।


निष्कर्ष — माँ अपर्णा की शरण में जीवन सफल

भवानिपुर का माँ अपर्णा शक्तिपीठ केवल पूजा का स्थान नहीं है, बल्कि यह माँ सती के प्रेम, त्याग, बलिदान और सनातन शक्ति की जीवंत गाथा है। यहाँ आने वाला हर भक्त माँ के दिव्य सान्निध्य को अनुभूत करता है और उनके आशीर्वाद से जीवन के सभी कार्य सफल होते हैं।

जय माँ अपर्णा।
हर-हर महादेव।

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