मनसा शक्तिपीठ, जिसे माँ दक्षायनी शक्तिपीठ के नाम से भी जाना जाता है, तिब्बत में कैलाश मानसरोवर के तट पर स्थित है। यह स्थान हिंदू धर्म के 51 शक्तिपीठों में से एक है। पौराणिक कथा के अनुसार, यहां देवी सती की दाहिनी हथेली गिरी थी, जिससे यह स्थान अत्यंत पवित्र माना जाता है। यह मंदिर न केवल श्रद्धालुओं के लिए एक तीर्थ है, बल्कि इसकी आध्यात्मिक ऊर्जा और दिव्यता इसे एक विशेष स्थान प्रदान करती है।
शक्तिपीठों का निर्माण देवी सती और भगवान शिव से जुड़ी कथा पर आधारित है। दक्ष यज्ञ में हुए अपमान से आहत होकर सती ने यज्ञ कुंड में अपने प्राण त्याग दिए। भगवान शिव के तांडव के दौरान सती के शरीर के टुकड़े जहां-जहां गिरे, वहां शक्तिपीठों की स्थापना हुई। कैलाश मानसरोवर के तट पर स्थित यह पीठ देवी सती की दाहिनी हथेली के गिरने का स्थान है, जिसे देवी दक्षायनी के नाम से पूजा जाता है।
यहां एक विशेष बात यह है कि मंदिर में कोई मूर्ति स्थापित नहीं है। पूजा का केंद्र एक बड़ा पत्थर है, जिसे देवी शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
मनसा शक्तिपीठ का अद्वितीय आकर्षण इसका तिब्बती गोम्फा है, जो भगवान शिव के परिवार का प्रतिनिधित्व करता है। इस स्थान की वास्तुकला और वातावरण एक दिव्य अनुभव प्रदान करते हैं। कैलाश पर्वत को हिंदू पौराणिक कथाओं में भौतिक और आध्यात्मिक जगत के बीच कड़ी माना गया है। यह पर्वत त्रिदेवों में से एक, भगवान ब्रह्मा के हंस का निवास भी है।
कहा जाता है कि कैलाश मानसरोवर झील में स्नान करने और पर्वत की परिक्रमा करने से व्यक्ति अपने समस्त पापों से मुक्त हो जाता है। झील का पानी अपने औषधीय गुणों के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां का ठंडा और पवित्र जल मन और शरीर को शुद्ध करने की क्षमता रखता है।
मनसा शक्तिपीठ में कई महत्वपूर्ण पर्व मनाए जाते हैं:
निकटतम हवाई अड्डा जम्मू हवाई अड्डा है। वहां से सड़क मार्ग द्वारा यात्रा की जाती है।
कोई सीधा रेल संपर्क उपलब्ध नहीं है।
यात्रा मुख्य रूप से दिल्ली से शुरू होती है। धारचूला, तवाघाट और लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड) के जरिए कैलाश मानसरोवर तक पहुंचा जा सकता है। यह यात्रा लगभग 24 दिनों तक चलती है और श्रद्धालुओं को पैदल भी यात्रा करनी पड़ती है।
कैलाश मानसरोवर की यात्रा आध्यात्मिकता, प्रकृति और दिव्यता का एक अद्वितीय संगम है। यहां आने वाले श्रद्धालु एक दिव्य ऊर्जा का अनुभव करते हैं, जो उनके जीवन में सकारात्मकता लाता है। मनसा शक्तिपीठ न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि आध्यात्मिक शक्ति का स्रोत भी है, जो भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करता है।
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