चंबल (Chambal) की भूमि, जो रहस्य और इतिहास में डूबी हुई है, अपने धर्म और भक्ति के अद्भुत प्रतीकों के लिए भी जानी जाती है। इन्हीं में से एक है करह धाम (Karah Dham) पटिया वाले बाबा का पवित्र स्थान, जो मुरैना (Morena) जिले के बीहड़ों में स्थित है। जहां कभी हिंसक जानवरों की गर्जन और डकैतों की बंदूकें गूंजा करती थीं, वहां आज भक्तिभाव की लहरें हृदय को छू जाती हैं।
करह धाम मुरैना शहर (Morena City) से 20 किलोमीटर और ग्वालियर (Gwalior) से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्थान ग्वालियर-मुरैना हाइवे (Gwalior – Morena Highway) पर मौजूद है। चंबल के बीहड़ों के बीच बसा यह स्थान न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि एक तपोभूमि भी है, जहां अनेक धर्मात्माओं ने अपनी साधना की है। पटिया वाले बाबा ने इस स्थान को अपनी उपस्थिति और चमत्कारों से पूरे क्षेत्र में प्रसिद्ध कर दिया।
करह धाम से जुड़ी कई मान्यताएं यहां के जल के चमत्कारी गुणों को उजागर करती हैं। इस स्थल पर एक कुआं है, जिसके जल को स्पर्श करने मात्र से कई बीमारियां ठीक हो जाती हैं, ऐसा भक्तों का विश्वास है। खासकर, यह माना जाता है कि कुत्ते के काटे गए व्यक्ति अगर यहां स्नान कर ले, तो उसकी पीड़ा समाप्त हो जाती है। कुएं को ढंककर इसके चारों कोनों पर चार हैंडपंप लगाए गए हैं, ताकि भक्त आसानी से इस चमत्कारी जल का लाभ उठा सकें।
करह धाम धनेला गांव के पास स्थित है। यहां पटिया वाले बाबा की मूर्ति के समीप रामनाम का कीर्तन पिछले 50 वर्षों से अनवरत चलता आ रहा है। इस मंदिर में हर सुबह और शाम प्रसाद वितरण होता है। लेकिन सबसे प्रसिद्ध है यहां लगने वाला "सियापिया का मेला," जो हर साल माघ पूर्णिमा से फाल्गुन नवमी तक आयोजित होता है।
इस मेले में लाखों की संख्या में भक्तजन एकत्रित होते हैं। मेले के दौरान मालपुए और खीर का प्रसाद वितरित किया जाता है, और इस समय यहां का वातावरण अलौकिक होता है। मेले के दौरान भारी भीड़ को संभालने के लिए पुलिसबल की तैनाती की जाती है, ताकि भक्तों को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
करह धाम, पटिया वाले बाबा का यह स्थान, न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि श्रद्धालुओं के लिए अद्वितीय आस्था का केंद्र भी है। अगर आप चंबल की यात्रा पर हैं, तो इस तपोभूमि का दर्शन अवश्य करें।
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