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परम पूज्य श्यामसुंदर पाराशर जी महाराज

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डॉ. श्याम सुंदर पाराशर: श्रीमद्भागवत कथा की मधुर आवाज

आध्यात्मिक प्रवचन की दुनिया में, कुछ ही आवाजें डॉ. श्याम सुंदर पाराशर की तरह आत्मा को मोहित करती हैं। एक अंतर्राष्ट्रीय आध्यात्मिक गुरु और एक प्रतिष्ठित "कथावाचक" के रूप में, डॉ. पाराशर वैदिक शास्त्रों के अपने गहरे ज्ञान और अपनी अनूठी, मधुर कथा शैली के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं । उनके अनुयायी अक्सर कहते हैं कि जब वे बोलते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे ज्ञान की देवी, सरस्वती, स्वयं विराजमान हैं ।

यह जीवनी उस व्यक्ति के जीवन, आध्यात्मिक यात्रा और शिक्षाओं पर प्रकाश डालती है जिन्हें आध्यात्मिक ज्ञान के एक दिव्य स्रोत के रूप में सम्मानित किया जाता है ।

प्रारंभिक जीवन और आध्यात्मिक बुलावा

डॉ. श्याम सुंदर पाराशर का जन्म 8 जून, 1967 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के भितरवार गाँव में हुआ था, जो पवित्र पार्वती नदी के तट पर स्थित है । एक प्रतिष्ठित ब्राह्मण परिवार में जन्मे, उन्होंने बहुत ही कम उम्र से वेदों, शास्त्रों और पुराणों के अध्ययन के प्रति एक स्वाभाविक झुकाव प्रदर्शित किया ।

उनके बचपन के एक निर्णायक क्षण ने उनके आध्यात्मिक मार्ग को प्रशस्त किया। जब वे केवल पाँच वर्ष के थे, तो उन्हें बुखार हो गया था। उनके पिता ने उनके बड़े भाई को मंदिर के दैनिक अनुष्ठान करने के लिए कहा था, जिसे वे भूल गए। यह देखकर, उनके पिता ने फैसला किया कि यह छोटे श्याम सुंदर ही हैं, जो अपनी सहज भक्ति के साथ, पवित्र अध्ययन करने के लिए वृंदावन जाएंगे ।

शिक्षा और विद्वतापूर्ण खोज

डॉ. पाराशर की औपचारिक शिक्षा उनकी आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि जितनी ही प्रभावशाली है। उन्होंने श्री धर्म संघ संस्कृत विद्यालय में सात साल बिताए, जहाँ उन्होंने संस्कृत व्याकरण, भारतीय दर्शन और तत्वमीमांसा में महारत हासिल की और "शास्त्री" की उपाधि अर्जित की।

ज्ञान की उनकी खोज ने उन्हें आगे की शैक्षणिक उपलब्धियों तक पहुँचाया:

  • डॉक्टरेट (विद्यावाचस्पति): उन्होंने महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड विश्वविद्यालय से संस्कृत और शास्त्रीय भारतीय भाषाओं में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की, जिसमें उनका शोध श्रीमद्भागवत महापुराण पर केंद्रित था ।
  • संगीत विशारद: उन्होंने गंधर्व संगीत विद्यालय, मुंबई से शास्त्रीय गायन में भी प्रशिक्षण लिया है, यह एक ऐसा कौशल है जो उनकी कथाओं को एक अद्वितीय, संगीतमय सिम्फनी से भर देता है।

कथा वाचन की कला

डॉ. पाराशर श्रीमद्भागवत कथा के अपने वाचन के लिए सबसे प्रसिद्ध हैं, जो एक पवित्र ग्रंथ है जिसे वे अपनी वाक्पटु कहानी के माध्यम से जीवंत करते हैं । उनके प्रवचन केवल व्याख्यान नहीं होते; वे गहन अनुभव होते हैं। वह अपनी "मधुर सिम्फनी और राग-रागिनियों" के माध्यम से प्राचीन श्लोकों का कुशलतापूर्वक वर्णन करते हैं, जिससे जटिल दार्शनिक अवधारणाएँ अपने श्रोताओं के लिए सुलभ और गहराई से मार्मिक बन जाती हैं ।

वह अक्सर जीवन की शारीरिक और मानसिक चुनौतियों पर काबू पाने पर बोलते हैं, श्रोताओं को आध्यात्मिक समाधान और धर्म की गहरी समझ की ओर मार्गदर्शन करते हैं । उन्हें एक "दिव्य कथाकार" माना जाता है, जिनके शब्द अनगिनत अनुयायियों को स्पष्टता और शांति प्रदान करते हैं ।

संगठन और सम्मान

अपनी शिक्षाओं का प्रसार करने के लिए, डॉ. पाराशर ने वृंदावन में स्थित कई आध्यात्मिक संगठन स्थापित किए हैं:

  • भागवत कल्पद्रुम
  • श्याम प्रेम संस्थान
  • पराशर अध्यात्म पीठ

उनके गहन योगदान को प्रतिष्ठित आध्यात्मिक हस्तियों द्वारा प्रतिष्ठित सम्मानों से मान्यता दी गई है, जिनमें शामिल हैं:

  • तुलसी व्यास, मुरारी बापू जी द्वारा प्रदान किया गया।
  • भागवत दिवाकर, श्री स्वामी केशवानंद सरस्वती जी द्वारा प्रदान किया गया ।
  • विद्वन मार्तण्ड, भागवतमहामहोपाध्याय, रसेस जैसी उपाधियाँ भी महान धर्मगुरुओं द्वारा प्रदान की गईं हैं ।

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