विष्णुप्रिया अवि जी

विष्णुप्रिया अवि जी: एक अद्भुत बाल व्यास और समाजसेवी

विष्णुप्रिया अवि जी के प्रारंभिक जीवन और बाल्यकाल

विष्णुप्रिया अवि जी एक अद्भुत प्रतिभावान बाल व्यास हैं, जिन्हें बहुत ही छोटी उम्र से ठाकुर जी का आशीर्वाद प्राप्त हो गया था। उनका वास्तविक नाम अनुधा चौबे है, लेकिन उनकी अलौकिक छवि और आध्यात्मिकता को देखते हुए उनके गुरु जी ने उन्हें "विष्णुप्रिया" नाम दिया और दीक्षा प्रदान की। मात्र 5 वर्ष की आयु में ही उन्होंने बाल कृष्ण और बाल रामायण की कहानियों से बच्चों को धार्मिक शिक्षा देना शुरू कर दिया था। उनकी माता-पिता की मुलाकात उनके गुरु जी से हुई, जिन्होंने विष्णुप्रिया जी की अद्भुत प्रतिभा को पहचाना और उन्हें शास्त्रों का गहन अध्ययन कराने का निर्णय लिया।

धार्मिक शिक्षा और शास्त्रों का अध्ययन

गुरु सानिध्य प्राप्त करने के बाद, विष्णुप्रिया अवि जी ने श्री मद भागवत, भागवत गीता, रामचरित मानस, शिव-पुराण, गर्ग संहिता, और देवी भागवत जैसे दिव्य शास्त्रों का अध्ययन शुरू किया। इतनी छोटी उम्र में गहन अध्ययन और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करना उनके असाधारण व्यक्तित्व को दर्शाता है। साढ़े आठ वर्ष की आयु में, उन्होंने वृंदावन में यमुना तट पर अपनी पहली कथा का आयोजन किया। उनकी इस कथा का विषय था "जीवन में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए धैर्य, स्थिरता और शांतिपूर्ण मानसिक स्थिति आवश्यक है"। यह विषय उनके जीवन के मूल्यों और उनके संदेश की गहराई को दर्शाता है।

विष्णुप्रिया अवि जी का उद्देश्य और संदेश

विष्णुप्रिया अवि जी के प्रवचनों का मुख्य उद्देश्य लोगों में विश्वास और सकारात्मकता का संचार करना है। वे उन लोगों की मदद करना चाहती हैं, जिन्हें खुद पर और अपने आस-पास की दुनिया पर भरोसा नहीं है। उनका उद्देश्य लोगों को सही रास्ता चुनने में सहायता प्रदान करना है और उन्हें एक सफल, और सबसे महत्वपूर्ण, शांतिपूर्ण जीवन जीने के लिए प्रेरित करना है। उनका सफलता मंत्र बहुत ही सरल है, लेकिन जीवन के लिए गहन महत्व रखता है: "धैर्य, स्थिरता और शांति से जीवन की चुनौतियों का सामना करें।"

श्री लाडली जू सेवा संस्थान के माध्यम से समाजसेवा

विष्णुप्रिया अवि जी केवल एक बाल व्यास ही नहीं, बल्कि एक समर्पित समाजसेवी भी हैं। उन्होंने श्री लाडली जू सेवा संस्थान की स्थापना की है, जिसके माध्यम से वे वृद्धाश्रम में रहने वाली माताओं, विद्यालयों में अध्ययनरत दिव्यांग विद्यार्थियों, और सड़क पर रहने वाले साधु-संतों एवं भिखारियों की सेवा करती हैं।

वस्त्र दान

विष्णुप्रिया अवि जी का मानना ​​है कि जो व्यक्ति कथा में वस्त्र आदि दान करता है, यदि वह वस्त्र किसी जरूरतमंद के काम आ जाए तो दान करने वाले व्यक्ति को उसका अधिक पुण्य मिलता है। इसी उद्देश्य से वे समय-समय पर जरूरतमंदों को वस्त्र दान करती हैं।

भोजन दान

श्री लाडली जू सेवा संस्थान के माध्यम से वे सड़क पर रहने वाले साधु-संतों और मंदिरों पर भीख मांगने वालों को प्रसाद के रूप में भोजन दान करती हैं। उनका मानना ​​है कि अगर भोजन प्रसाद के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों और जरूरतमंदों तक पहुंचता है, तो दानकर्ता को उसका अधिक लाभ मिलेगा।

अध्ययन सामग्री दान

शिक्षा के क्षेत्र में भी विष्णुप्रिया अवि जी का योगदान अतुलनीय है। वेद विद्यालय एवं सरकारी विद्यालयों में अध्ययनरत दिव्यांग विद्यार्थियों को स्कूली खेलों के लिए पेन, पेंसिल, कॉपी, किताब, बैग आदि उपलब्ध कराती हैं। इसके अलावा, आधुनिक ज्ञान के लिए वॉलीबॉल, बैट-बॉल एवं कंप्यूटर जैसी सामग्रियां भी उपलब्ध कराती हैं। उनका मानना ​​है कि आने वाली पीढ़ी का शैक्षिक एवं बौद्धिक स्तर मजबूत होना चाहिए, ताकि वे जीवन में सफल हो सकें।

संपर्क जानकारी

यदि आप विष्णुप्रिया अवि जी से संपर्क करना चाहते हैं, तो आप निम्नलिखित पते और फोन नंबर का उपयोग कर सकते हैं:

पता: 194सी, राजेंद्र नगर, इंदौर, मध्य प्रदेश, पिन-452012

फ़ोन: 6268 200 582
 

निष्कर्ष

विष्णुप्रिया अवि जी न केवल एक बाल व्यास हैं, बल्कि एक प्रेरणादायक समाजसेवी भी हैं, जिन्होंने छोटी सी उम्र में ही आध्यात्मिकता और समाजसेवा के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का कार्य किया है। उनकी सेवा, ज्ञान और समर्पण आज के युवाओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि धैर्य, स्थिरता और शांति से जीवन की कठिनाइयों का सामना करके हम उत्कृष्टता प्राप्त कर सकते हैं।

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