ग्वालियर के बहोड़ापुर की पहाड़ी पर स्थित गरगज के हनुमान मंदिर एक अत्यंत प्राचीन और चमत्कारी स्थल है। इस मंदिर की मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति लगातार पाँच मंगलवार तक यहाँ हनुमान जी के दर्शन करता है, तो उसकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। लगभग ढाई सौ साल पहले यहाँ हनुमान जी की मूर्ति प्रकाट हुई थी, और तब से यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है।
इस मंदिर की स्थापना का श्रेय तत्कालीन महाराजा जनकोजीराव को जाता है। यह घटना तब की है जब बहोड़ापुर का क्षेत्र घने जंगलों से घिरा हुआ था, और लोग यहाँ आने से डरते थे। उस समय, मंदिर के महंत पूर्णानंद जी के पूर्वज पहाड़ी पर दीप जलाकर तपस्या किया करते थे। स्थानीय लोगों ने जब पहाड़ी पर जलते हुए दीपक को देखा, तो इस बारे में चर्चाएँ फैलने लगीं। यह खबर महाराजा जनकोजीराव तक पहुंची, जिन्होंने मामले की जांच के लिए सैनिकों को भेजा।
सैनिकों ने देखा कि एक ब्राह्मण (तपस्वी) पहाड़ी पर नित्य दीप जलाकर तपस्या में लीन थे। महाराजा स्वयं वहां पहुंचे और ब्राह्मण से दीप जलाने का कारण पूछा। ब्राह्मण ने बताया कि इस पहाड़ी पर किसी देवता का वास है। इस बात को ध्यान में रखते हुए महाराजा ने सैनिकों को पहाड़ी को तोड़ने का आदेश दिया।
जैसे ही पहाड़ी तोड़ी गई, गर्जना के साथ इसका एक बड़ा हिस्सा टूटकर नीचे गिर गया। पहाड़ी की दीवार पर हनुमान जी की दिव्य प्रतिमा प्रकट हुई। इस अद्भुत घटना के बाद महाराजा जनकोजीराव ने यहां मंदिर की स्थापना करवाई और इसकी जिम्मेदारी उस तपस्वी ब्राह्मण को सौंप दी, जिनके वंशज आज भी इस मंदिर की देखरेख कर रहे हैं।
मंदिर का सबसे बड़ा जीर्णोद्धार 1930 में हुआ था, जिससे इस प्राचीन मंदिर को नया जीवन मिला। इसके बाद, 1980 में बिड़ला परिवार ने मंदिर के आगे के हिस्से का निर्माण करवाया, जिससे इसकी संरचना और भी भव्य हो गई।
गरगज हनुमान मंदिर को लेकर एक विशेष मान्यता है कि यदि कोई भक्त लगातार पाँच मंगलवार तक यहां हनुमान जी के दर्शन करता है और पूजा-अर्चना करता है, तो उसकी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। इस मंदिर में आने वाले हजारों भक्तों ने इस चमत्कार को स्वयं अनुभव किया है। यही कारण है कि यह मंदिर स्थानीय लोगों और दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं के बीच असीम आस्था का केंद्र है।
ग्वालियर के बहोड़ापुर में स्थित गरगज हनुमान मंदिर तक पहुंचना काफी आसान है। आप निजी वाहन, सार्वजनिक परिवहन या ऑटो रिक्शा के माध्यम से मंदिर पहुंच सकते हैं। आप सगर ताल सड़क और बहोड़ापुर सड़क के माध्यम से जा सकते हैं। यह यात्रा लगभग 3.1 मील लंबी है और इसमें लगभग 15 मिनट लगेंगे।
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