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अभी मंदिर जोड़ेंभारत में धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों की भूमि पर स्थित अनेक शक्तिपीठों में से एक है पश्चिम बंगाल के बोलपुर के पास कांची देवगर्भा कंकालिता शक्तिपीठ। यह मंदिर कोपाई नदी के किनारे स्थित है और इसे माँ काली की शक्ति का एक विशेष केंद्र माना जाता है। यह स्थान न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके साथ जुड़ी पौराणिक कथा इसे और भी रोचक बनाती है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव द्वारा किए गए तांडव के समय, माता सती के शरीर के विभिन्न अंग पृथ्वी के अलग-अलग स्थानों पर गिरे। इन्हीं में से एक कंकाल यहाँ गिरा, जिससे यह स्थान दिव्यता से भर गया। ऐसा कहा जाता है कि इस घटना के कारण यहां की धरती दब गई और वहां पानी भरकर एक दिव्य कुंड का निर्माण हो गया। इस कुंड को आज भी भक्तों के बीच विशेष श्रद्धा का स्थान प्राप्त है। माना जाता है कि कुंड के नीचे माता सती की अस्थियां आज भी सुरक्षित हैं।
यह शक्तिपीठ माँ देवगर्भा को समर्पित है। यहाँ भैरव को रूरू के नाम से पूजा जाता है। स्थानीय लोग इस मंदिर को ‘कंकाल बाड़ी’, ‘रक्त टोला कंकालेश्वरी’ और ‘कंकाली ताला’ जैसे नामों से भी जानते हैं। यह स्थान माँ काली की अनंत शक्ति और उनके भक्तों के प्रति करुणा का प्रतीक है।
कंकालिता शक्तिपीठ मंदिर की अनोखी संरचना और यहाँ की आध्यात्मिक ऊर्जा भक्तों को अद्वितीय अनुभव प्रदान करती है। भक्तगण यहाँ आकर कुंड में दर्शन करते हैं और माँ देवगर्भा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। कहा जाता है कि यहाँ मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। यह स्थान न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी प्रसिद्ध है।
यह मंदिर पश्चिम बंगाल के बोलपुर और शांतिनिकेतन के पास स्थित है। कोलकाता से बोलपुर तक रेल और सड़क मार्ग से आसानी से पहुँचा जा सकता है। बोलपुर से मंदिर तक जाने के लिए स्थानीय साधन उपलब्ध हैं।
कांची देवगर्भा कंकालिता शक्तिपीठ एक ऐसा स्थान है, जहाँ आकर भक्तगण आध्यात्मिक शांति का अनुभव करते हैं। यह मंदिर भारतीय संस्कृति, पौराणिक इतिहास और भक्तिभाव का अनूठा संगम है। अगर आप धार्मिक यात्रा के शौकीन हैं, तो एक बार इस दिव्य स्थल के दर्शन अवश्य करें।
इस शक्तिपीठ की अद्भुत कथा और इसकी आस्था हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है। यह मंदिर हमारी आस्था का प्रतीक है और हमें जीवन में शक्ति और प्रेरणा प्रदान करता है।
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