श्री कृष्ण चंद्र शास्त्री जी ,भारत के प्रसिद्ध राम कथा और भागवत कथा वाचक हैं। अपनी गहरी आध्यात्मिक समझ और कथा वाचन में अद्वितीय कौशल के कारण, उन्होंने लाखों लोगों के हृदयों में एक विशेष स्थान बनाया है। ठाकुरजी का जन्म उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के लक्ष्मणपुरा गांव में हुआ था। वे पंडित श्री राम शरणजी उपाध्याय और श्रीमती चंद्रावती देवी के पुत्र हैं, जिन्होंने भक्ति और धर्म का वातावरण अपने परिवार में बनाए रखा।।
श्री कृष्ण चंद्र शास्त्री जी को बचपन से ही उनके दादाजी श्री भूपदेवजी उपाध्याय ने रामायण और कृष्ण चरित्र की कहानियाँ सुनाई, जिससे उनमें धार्मिकता और भक्ति का संस्कार गहराई से बैठ गया। अपनी प्रारंभिक शिक्षा के लिए वे वृंदावन गए, जहाँ उन्होंने स्वामी रामानुजाचार्यजी महाराज के मार्गदर्शन में वेद, गीता, और वाल्मीकि रामायण जैसे धर्मग्रंथों का अध्ययन किया।
श्री कृष्ण चंद्र शास्त्री जी ने 15 वर्ष की उम्र में मुंबई में अपनी पहली भागवत कथा प्रस्तुत की और तब से लेकर अब तक वे 1500 से भी अधिक कथाओं का प्रवचन कर चुके हैं। उनके कथा वाचन की शैली में संगीत, भाव, और भक्ति का ऐसा अनूठा मिश्रण होता है कि श्रोता पूरी तरह उसमें खो जाते हैं। उनका प्रमुख उद्देश्य श्रोताओं को भगवान राम और भगवान कृष्ण के आदर्शों से जोड़ना और उनके माध्यम से जीवन की शिक्षा देना है।
श्री कृष्ण चंद्र शास्त्री जी की धार्मिक यात्रा जगन्नाथपुरी के जियारस्वामी मठ तक पहुंची, जहाँ स्वामी श्री गरुड़ध्वजाचार्यजी महाराज ने उन्हें वैष्णव संप्रदाय में दीक्षित किया। इसके बाद ठाकुरजी को अपने शिष्यों को दीक्षा देने का अधिकार मिला और उनके गुरु और शुभचिंतकों ने उन्हें ‘ठाकुरजी’ की प्रतिष्ठित उपाधि से नवाजा। धार्मिक समाज ने उन्हें ‘भगवत भास्कर’ का खिताब भी दिया, जो उनकी विद्वता और भक्ति भावना का सम्मान है।
श्री ठाकुरजी के जीवन पर कई महान संतों का प्रभाव पड़ा, जैसे स्वामी श्री करपात्रीजी महाराज, स्वामी श्री अखंडानंदजी सरस्वती, श्री मुरारी बापू, और श्री रामसुखदासजी। इन महान संतों के विचारों ने ठाकुरजी की धार्मिक समझ को और भी गहराई दी, जिससे उन्होंने अपनी कथाओं में अधिक परिपक्वता और प्रेरणा प्रदान की।
श्री कृष्ण चंद्र शास्त्री जी ने श्री कृष्ण प्रेम संस्थान की स्थापना की, जहाँ वेदों और भागवत की शिक्षा निःशुल्क दी जाती है। राम नवमी के पावन अवसर पर वर्ष 2003 में संस्थान के अंतर्गत एक गौशाला भी स्थापित की गई, जो ठाकुरजी के गोसेवा के प्रति समर्पण को दर्शाता है।
श्री कृष्ण चंद्र शास्त्री जी के नाम 961 सप्ताह से अधिक समय तक श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ का आयोजन करने का कीर्तिमान है। उन्होंने न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी भागवत कथा का प्रचार किया और हर जगह उनके प्रवचनों की सराहना हुई। उनकी कथाओं में भगवान राम और कृष्ण के प्रति अद्वितीय भक्ति का अनुभव होता है, जो श्रोताओं को प्रेम और करुणा का संदेश देती हैं।
श्री कृष्ण चंद्र शास्त्री जी का जीवन भगवान की सेवा और आध्यात्मिक ज्ञान के प्रसार के लिए समर्पित रहा है। उनकी राम कथा और भागवत कथा ने अनगिनत लोगों को धर्म, सत्य, और प्रेम के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी है। उनका जीवन एक प्रेरणादायक यात्रा है, जो यह सिखाती है कि सच्ची भक्ति और ज्ञान के माध्यम से हम अपने जीवन को सही दिशा में ले जा सकते हैं।
श्री कृष्ण चंद्र शास्त्री जी के जीवन में शास्त्रीय संगीत ने भी अहम भूमिका निभाई है। उनके प्रवचन में संगीत की मधुरता और धार्मिक ग्रंथों की गहराई का अनूठा समावेश होता है। वे अपने प्रवचनों में संगीत का समावेश कर श्रोताओं को भक्ति और प्रेम की भावना से जोड़ते हैं, जिससे उनकी कथाओं में अद्वितीय आकर्षण आता है। श्री ठाकुरजी आज भी लाखों लोगों के हृदयों में बसते हैं। उनके जीवन का हर पहलू भगवान की सेवा में समर्पित रहा है। उनकी कथाओं ने अनगिनत लोगों को धर्म, सत्य और प्रेम के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी है। श्री ठाकुरजी जैसे महान संत समाज के लिए एक अमूल्य निधि हैं। उनकी प्रेरणादायक जीवन यात्रा हमें याद दिलाती है कि सच्ची भक्ति और ज्ञान के माध्यम से हम अपने जीवन को सही मार्ग पर ले जा सकते हैं।
यदि आप श्री ठाकुरजी से संपर्क करना चाहते हैं या श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह और अन्य कार्यक्रमों के बारे में जानकारी चाहते हैं, तो आप निम्नलिखित पते पर पत्राचार कर सकते हैं या संपर्क कर सकते हैं:
श्री कृष्ण चंद्र शास्त्री जी (श्री ठाकुरजी)
रमन रेती मार्ग,
वृंदावन, उत्तर प्रदेश, भारत
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