आचार्य अंशुल दुबे (माधव दास) जी महाराज: एक युवा कथा वाचक की कहानी
परिचय
आचार्य अंशुल दुबे, जिन्हें माधव दास के नाम से भी जाना जाता है, एक युवा और ऊर्जावान कथा वाचक हैं। 7 मार्च 2002 को जन्मे, अंशुल जी दिबियापुर, उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। कम उम्र में ही उन्होंने अपनी मधुर वाणी और सरल शैली के माध्यम से धार्मिक कथाओं को लोगों तक पहुँचाने का काम शुरू कर दिया।
बचपन और पारिवारिक पृष्ठभूमि
अंशुल दुबे जी का जन्म एक धार्मिक परिवार में हुआ। उनके माता-पिता, श्री गोविन्द दुबे और श्रीमती रजनी दुबे, ने बचपन से ही उन्हें धार्मिक शिक्षा और संस्कार दिए। उनका बचपन औतो गाँव में बीता। शुरुआत से ही उन्हें पौराणिक कहानियों और धार्मिक ग्रंथों में गहरी रुचि थी।
स्कूल के दिनों में वे धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेते थे। उनकी प्रतिभा को पहचान कर उनके माता-पिता और शिक्षकों ने उन्हें हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।
शिक्षा और सीखने का सफर
अंशुल जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय स्कूल से प्राप्त की। उनके सीखने का सफर किताबों तक सीमित नहीं था। वे धार्मिक स्थलों की यात्राओं और साधु-संतों से मिलने के जरिए अपनी जानकारी बढ़ाते रहे। यह अनुभव उनकी कथाओं को खास बनाता है।
गुरु का मार्गदर्शन
उनकी आध्यात्मिक यात्रा में एक बड़ा बदलाव तब आया जब उन्होंने परम पूज्य गुरु मदन मोहन दास जी महाराज को अपना गुरु माना। गुरु जी के साथ, उन्होंने धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन किया और कथा वाचन की कला सीखी। वृंदावन में गुरु जी का आश्रम, धीर समीर आश्रम, उनके लिए साधना और ज्ञान का केंद्र बन गया।
कथा वाचक के रूप में शुरुआत
गुरु के मार्गदर्शन और अपनी मेहनत से अंशुल जी एक कुशल कथा वाचक बन गए। उनकी कथाओं की खासियत यह है कि वे धार्मिक कहानियों को सरल और आज के समय से जोड़कर बताते हैं।
समाज सेवा और योगदान
अंशुल जी ने एक धार्मिक स्थल, संकट मोचन धाम की स्थापना की है। यह जगह न केवल भक्ति का केंद्र है, बल्कि समाज सेवा का भी स्थान है। वे गरीबों की मदद, शिक्षा और अन्य सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहते हैं।
युवाओं पर प्रभाव
अंशुल जी सोशल मीडिया के जरिए युवाओं से जुड़े रहते हैं। उनकी सरल और प्रभावी शैली के कारण युवा उन्हें पसंद करते हैं।
निष्कर्ष
आचार्य अंशुल दुबे (माधव दास) जी का जीवन दिखाता है कि अगर सच्ची लगन और सही मार्गदर्शन हो, तो कम उम्र में भी बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। उनकी कहानी प्रेरणा देती है कि कैसे व्यक्ति अपने ज्ञान और सेवा से समाज के लिए योगदान दे सकता है।
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