काशी विश्वनाथ मंदिर, जो वाराणसी में गंगा नदी के तट पर स्थित है, भगवान शिव को समर्पित 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर हिंदू धर्म का एक प्रमुख तीर्थस्थल है और इसे "विश्वेश्वर मंदिर" के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर का महत्व न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक है। यह मंदिर शिव और सनातन संस्कृति के प्रति अटूट श्रद्धा का प्रतीक है, जो हर भक्त को शांति और आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।
काशी विश्वनाथ मंदिर को भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, देवी पार्वती ने अपने पिता के घर में असंतोष जताया और भगवान शिव से उन्हें अपने घर ले जाने का अनुरोध किया। भगवान शिव ने काशी नगरी को अपना स्थायी निवास बनाया और यहां "विश्वेश्वर" ज्योतिर्लिंग के रूप में स्वयं को स्थापित किया। माना जाता है कि काशी में शिव के दर्शन और गंगा स्नान से जीवन के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह मान्यता हिंदू धर्म के अनुयायियों को इस मंदिर की ओर खींचती है।
काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास उतना ही प्राचीन है जितना स्वयं काशी। इस मंदिर को कई बार नष्ट और पुनर्निर्मित किया गया। 11वीं सदी में राजा हरीशचंद्र ने इसका जीर्णोद्धार करवाया, लेकिन 1194 में मोहम्मद गौरी ने इसे तोड़ दिया। इसके बाद 1447 में जौनपुर के सुल्तान महमूद शाह ने इसे फिर नष्ट किया।
मंदिर का वर्तमान स्वरूप इंदौर की मराठा शासक रानी अहिल्याबाई होल्कर ने 1780 में बनवाया। रानी अहिल्याबाई का योगदान काशी विश्वनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण में अतुलनीय है। 1835 में, पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने मंदिर के शिखर को 1000 किलो शुद्ध सोने से सजवाया, जिससे इसे "स्वर्ण मंदिर" के रूप में भी ख्याति मिली।
काशी विश्वनाथ मंदिर और वाराणसी का धार्मिक नेतृत्व नारायण राजवंश के हाथों में रहा है। 1740 में महाराजा बलवंत सिंह ने काशी को मुगलों और अवध के नवाब के नियंत्रण से मुक्त कर एक स्वतंत्र हिंदू राज्य की स्थापना की। यह राजवंश न केवल काशी का शासक था बल्कि यहां की धार्मिक परंपराओं और सनातन संस्कृति के संरक्षक भी थे।
काशी नरेश को भगवान शिव का उत्तराधिकारी माना जाता है और उनका स्थान काशी के धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन में अद्वितीय है। हिंदू पंचांग का प्रकाशन भी काशी नरेश के हस्ताक्षर के बाद ही मान्य होता है। रामनगर किला, जो महाराजा बलवंत सिंह द्वारा 1750 में बनवाया गया था, आज भी काशी नरेश का आधिकारिक निवास स्थान है।
2019-2021 में काशी विश्वनाथ मंदिर को गंगा घाट से जोड़ने के लिए काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण किया गया। इस परियोजना का उद्देश्य मंदिर परिसर को आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित करना और दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक सहज अनुभव प्रदान करना था। कॉरिडोर के माध्यम से मंदिर को एक भव्य रूप दिया गया, जिससे न केवल श्रद्धालुओं को सुविधा मिली बल्कि काशी की धरोहरों का भी संरक्षण हुआ।
काशी विश्वनाथ मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, परंपरा और इतिहास का प्रतीक भी है। यह मंदिर हर श्रद्धालु के लिए आस्था, मोक्ष और आत्मिक शांति का स्रोत है। वाराणसी की प्राचीनता और शिव की दिव्यता इसे अद्वितीय बनाती है। काशी आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को इस मंदिर की दिव्यता का अनुभव अवश्य करना चाहिए, जहां शिव और सनातन परंपरा का अद्भुत संगम होता है।
काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी शहर के केंद्र में स्थित है और देश के लगभग हर हिस्से से यहाँ पहुँचना बेहद आसान है। वाराणसी, उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शहर होने के साथ-साथ भारत का धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र भी है। यहाँ सड़क, रेल और हवाई मार्ग की बेहतरीन कनेक्टिविटी है।
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