तुम ढून्ढो मुझे गोपाल, मैं खोई गैया तेरी
सुध लो मोरी गोपाल, मैं खोई गैया तेरी
पाँच विकार से हाँकी जाए, पाँच तत्व की ये देही,
पर्वत भटकी दूर कहीं मैं, चैन न पाऊं अब केहीं।
ये कैसा माया जाल, मैं उलझी गैया तेरी,
सुध लो मोरी गोपाल, मैं उलझी गैया तेरी।
तुम ढून्ढो मुझे गोपाल, मैं खोई गैया तेरी,
सुध लो मोरी गोपाल, मैं खोई गैया तेरी।
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जमुना तट न, नंदन वन न, गोपी ग्वाल कोई दीखे,
कुसुम लता न, तेरी छटा न, पाख पखेरू कोई दीखे।
अब सांझ भई घनश्याम, मैं व्याकुल गैया तेरी,
सुध लो मोरी गोपाल, मैं व्याकुल गैया तेरी।
तुम ढून्ढो मुझे गोपाल, मैं खोई गैया तेरी,
सुध लो मोरी गोपाल, मैं खोई गैया तेरी।
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कित पाऊं तरुवर की छांव, जित राधे कृष्ण कन्हैया,
मन का ताप, शाप भटकन का, तुम ही हरो हरि रास रचैया।
अब मूक निहारूं बाट, प्रभुजी मैं गैया तेरी,
सुध लो मोरी गोपाल, मैं खोई गैया तेरी।
तुम ढून्ढो मुझे गोपाल, मैं खोई गैया तेरी,
सुध लो मोरी गोपाल, मैं खोई गैया तेरी।
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बंसी के हर नाद पे, तेरे मधुर तान से तुझे पुकारूं,
राधा कृष्ण, गोविंद, हरि हर, मुरली मनोहर नाम तिहारो।
मुझे उबारो हे गोपाल, मैं खोई गैया तेरी,
सुध लो मोरी गोपाल, मैं खोई गैया तेरी।
तुम ढून्ढो मुझे गोपाल, मैं खोई गैया तेरी,
सुध लो मोरी गोपाल, मैं खोई गैया तेरी...
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