लॉग इन करें।

श्री राधा रमन जी के प्रकटोत्सव की कथा

श्री राधा रमन जी के प्रकटोत्सव की कथा : गंडकी नदी से वृंदावन तक की पावन यात्रा


गंडकी नदी: एक पवित्र धारा और शालिग्राम की उत्पत्ति

नेपाल के पास बहती गंडकी नदी न केवल भौगोलिक रूप से बल्कि धार्मिक दृष्टिकोण से भी विशेष महत्व रखती है। यह पवित्र नदी एक अद्वितीय वरदान का प्रतीक है। प्राचीन कथाओं के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण ने इस नदी को वरदान दिया था कि इसकी धारा में प्रवाहित होने वाले हर पत्थर में उनका वास रहेगा। ये पत्थर शालिग्राम कहलाते हैं, जिन्हें हिंदू धर्म में अत्यंत पूजनीय माना जाता है। शालिग्राम का यह महत्व न केवल धार्मिक परंपराओं में बल्कि भक्तों के हृदय में भी एक विशेष स्थान रखता है।

गोपाल भट्ट जी और वृंदावन की यात्रा

श्री चैतन्य महाप्रभु के शिष्य श्री गोपाल भट्ट जी ने भी इस पावन शालिग्राम की महिमा को समझा और वे गंडकी नदी से शालिग्राम लेकर वृंदावन आए। वृंदावन में गोपाल भट्ट जी ने शालिग्राम जी की पूजा करना आरंभ किया। एक दिन, एक व्यापारी भगवान की पोशाक लेकर आया जिसे देखने के बाद सभी भक्त अपने-अपने ठाकुर जी को सजाने के लिए पोशाक खरीदने लगे। गोपाल भट्ट जी के मन में भी अपने ठाकुर जी को सजाने की इच्छा उत्पन्न हुई, लेकिन उनके ठाकुर गोल मटोल शालिग्राम रूप में थे, जिन्हें सजाना आसान नहीं था।

आक्रांताओं का आतंक और शालिग्राम का चमत्कार

देश के ऊपर आक्रमणकारियों का आतंक होने के कारण गोपाल भट्ट जी ने सुरक्षा के दृष्टिकोण से शालिग्राम जी को एक वस्त्र में लपेटकर वृक्ष की शाखा पर रख दिया। अगले दिन जब गोपाल भट्ट जी ने शालिग्राम जी को नीचे उतारा, तो उन्होंने देखा कि उनकी पोटली में श्री राधा रमन जी एक नन्हे से ठाकुर रूप में प्रकट हुए। इस रूप में श्री कृष्ण अपने एक हाथ में मुरली लिए हुए प्रकट हुए थे, जिससे भक्तों में आनंद और भक्ति का सागर उमड़ पड़ा।

श्री राधा रमन जी की उत्पत्ति का पावन दिवस

श्री राधा रमन जी के प्रकट होने का यह शुभ दिन 1599 विक्रम संवत की वैशाख शुक्ल पूर्णिमा को हुआ। यह दिन न केवल श्री राधा रमन जी के प्रकटोत्सव के रूप में मनाया जाता है बल्कि इसे शालिग्राम जी के चमत्कार और श्री कृष्ण की भक्ति के अद्भुत रूप का प्रतीक माना जाता है। वृंदावन के भक्तों के लिए यह दिन आज भी अत्यंत पवित्र और उत्साहजनक होता है।


शालिग्राम की पूजा का महत्व

शालिग्राम की पूजा हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह माना जाता है कि शालिग्राम में भगवान श्री विष्णु का वास होता है, और इसे श्री कृष्ण का एक प्रतीक रूप माना जाता है। शालिग्राम के इस स्वरूप को घर में रखकर पूजा करने से सभी कष्टों का निवारण होता है और घर में सुख-समृद्धि आती है।


इस प्रकार, गंडकी नदी से वृंदावन तक की यह यात्रा एक अद्भुत कथा को जीवंत करती है। श्री राधा रमन जी के इस प्रकटोत्सव की कथा भक्ति और भगवान श्री कृष्ण के प्रेम का अद्वितीय उदाहरण है, जो सदियों से भक्तों के हृदय में बसती है।

कृपया अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया लिखें

Shop Pooja Essentials & Spiritual Books


Read More


Load More
;