Showcase your brand to thousands of engaged listeners, devotees, youth communities, and spiritual seekers on Dikshasthal.
Limited-period pricing available only until 31 Dec 2025. Secure your spot today.
आपका स्वागत है प्रिय श्रोताओं और साथी भक्तों! आज हम डूबते हैं भगवान शिव की महिमा का गुणगान करने वाली "ॐ जय शिव ओकारा आरती" के भक्तिमय सार में।
जय शिव ओंकारा, भज हर शिव ओंकारा,
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धाङ्गी धारा।
एकानन चतुरानन पंचानन राजै,
हंसासन गरुड़ासन वृषवाहन साजै।
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहै,
तीनों रूप निरखते त्रिभुवन मन मोहे।
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी,
चंदन मृगमद चंदा सोहै त्रिपुरारी।
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे,
सनकादिक ब्रह्मादिक भूतादिक संगे।
करके मध्ये कमंडलु चक्र त्रिशूलधारी,
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका,
प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका।
त्रिगुण शिव जी की आरती जो कोई नर गावे,
कहत शिवानन्द स्वामी सुख सम्पत्ति पावे।
ॐ नमः पार्वती पतये हर हर महादेव
Showcase your brand to thousands of engaged listeners, devotees, youth communities, and spiritual seekers on Dikshasthal.
Limited-period pricing available only until 31 Dec 2025. Secure your spot today.
कृपया अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया लिखें
हमारे साथ जुड़ें और अपनी आध्यात्मिक यात्रा को आगे बढ़ाएं। अभी लॉगिन करें!
साइन अप करें लॉगिन करें