श्री हनुमंत तपोभूमि आरती : भजन सुनना और गाना आत्मा को शांति, प्रेम और भक्ति से भर देता है। दीक्षास्थल पर भक्तिमय भजनों का संग्रह पाएँ और अपने मन को भगवान की भक्ति में लीन करें।
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।।श्री हनुमंत तपोभूमि आरती
आरती मंगलकारी की,
तपस्थली दर्शकारी की।।
गले में तुलसी की माला,
ध्यान बैठे अंजनि लाला,
जपत सियाराम नाम माला।।
भाल पे तिलक,अनोखी झलक,भक्ति की ललक
मंगल छवि जनहितकारी की,
तपस्थली दर्शकारी की,
आरती मंगलकारी की,
तपस्थली दर्शकारी की।।
भक्त के जितने दुर्लभ काज,
कृपा से हनुमत देते नेवाज,
दर्श से भागत भूत पिशाच,
हनुमतेश्वर दूत,नाम राम की लूट,गदा मजबूत
हनुमत कलिमलहारी की,
तपस्थली दर्शकारी की,
आरती मंगलकारी की,
तपस्थली दर्शकारी की।।
राम भक्तन के रखवारे,
सभी संतन के है प्यारे,
बिराजत सुखईखेड़ द्वारे,
अमंगल हरन,मूदित मन करन,सकंट हरन
भक्त के संकटहारी की,
तपस्थली दर्शकारी की,
आरती मंगलकारी की,
तपस्थली दर्शकारी की।।
आरती गुरु महंत जी गावे,
कृपा सब हनुमत की पावै,
मनोरथ पूरण हो जावै,
सुखईखेड़ा धाम, हनुमंत है नाम,भक्ति की खान
अष्ट सिद्ध नव निधिकारी की,
तपस्थली दर्शकारी की,
आरती मंगलकारी की
तपस्थली दर्शकारी की।।
रचनाकार (कथा प्रवक्ता) श्री हनुमंत तपोभूमि हनुमतेश्वर पीठाधीश्वर पूज्य गुरु महॅंत बाबा
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