🎶 ठुमक चलत रामचंद्र, बाजत पैजनियाँ
किलक किलात उठत लात, गिरत भूमि लटपटाय
धाय माया गोद लेत, दशरथ की रानियाँ॥
ठुमक चलत रामचंद्र...
🎵 विद्रुम से अरुण अधर, बोलत मृदु वचन मधुर
मुक्ता मणि सी दंत पंक्ति, लटकर लट ललचाय॥
ठुमक चलत रामचंद्र...
🎶 मेवा मोदक रसाल, मन भावे सो ले वो लात
और ले हो रुचिर पान, कंचन रुनझुनियाँ॥
ठुमक चलत रामचंद्र...
🎵 ‘तुलसीदास’ अति आनंद, निरखि के मुखारविंद
रघुवर की छवि समान, रघुवर मुख बनियाँ॥
ठुमक चलत रामचंद्र...
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