तीर्थ व्रत को नहीं अंदेशा
तुम्हारे चरण कमल का भरोसा
तीर्थ व्रत को नहीं अंदेशा
तुम्हारे चरण कमल का भरोसा
मैं जहाँ-जहाँ जाऊँ, तुम्हारी सेवा
तुमसा ठाकुर और ना देवा
मैं जहाँ-जहाँ जाऊँ, तुम्हारी सेवा
तुमसा ठाकुर और ना देवा
साची प्रीत जो तुम सो जोड़ी
तुम सो जोड़, सवन सो तोड़ी
साची प्रीत जो तुम सो जोड़ी
तुम सो जोड़, सवन सो तोड़ी
मैं अपना मन हरि सो जोड़ूँ
हरि सो जोड़, सवन सो तोड़ूँ
मैं अपना मन हरि सो जोड़ूँ
हरि सो जोड़, सवर सो तोड़ूँ
मोहे, कर्म, वचन तुम्हारी आशा
ऐसी भक्ति करे रैदासा
मोहे मन, कर्म, वचन तुम्हारी आशा,
ऐसी भक्ति करे रैदासा
साची प्रीत जो तुम सो जोड़ी
तुम सो जोड़, सवन सो तोड़ी
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